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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2708
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन

प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझते हैं? पौष्टिक आहार के विभिन्न तत्वों के स्रोतों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।

अथवा
संतुलित आहार को परिभाषित कीजिए। संतुलित आहार में पाये जाने वाले पोषक तत्वों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
संतुलित आहार को परिभाषित करते हुए उसमें पाये जाने वाले पोषक तत्वों के नाम लिखिए।
अथवा
सन्तुलित आहार क्या है ? सन्तुलित आहार के अवयवीं को समझाइये।

उत्तर -

सन्तुलित आहार का अर्थ

संतुलित भोजन उस भोजन को कहते हैं जो शरीर की आवश्यकताओं को पूरा करता है और अपेक्षाओं को तृप्त करता है, जिसमें भोजन के सभी आवश्यक पौष्टिक तत्व सम्मिलित हों और इन तत्वों का उचित अनुपात व्यक्ति की आयु, लिंग और काम करने की स्थिति आदि का ध्यान रख कर निर्धारित किया गया हो अथवा विभिन्न खाद्य पदार्थों के मिश्रण से निर्मित वह आहार, जो शरीर को भी पौष्टिक तत्व उसकी न्यूनतम शारीरिक आवश्यकताओं के अनुपात में प्रदान करता है, संतुलित आहार कहलाता है। संतुलित आहार को कुछ इस ढंग से भी परिभाषित किया जा सकता है, "वह आहार जो गुण और मात्रा में समान हो, तथा शरीर की वृद्धि, विकास और स्वास्थ्य को ठीक रख सके और शरीर की सभी क्रियाओं को नियमित रख सकने में समर्थ हो वह संतुलित आहार कहलाता है।” एक अन्य परिभाषा जो भोजन के तत्वों पर बल देते हुए बताती है कि "वह आहार जिसमें भोजन के सभी आवश्यक तत्व जैसे प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन, खनिज, लवण और जल सही अनुपात में हो उसे संतुलित आहार कहा जाता है।”

पौष्टिक आहार - सामान्यतया आहार एवं पोषण को एक-दूसरे का पर्याय समझा जाता है जो कि अनुचित है। वास्तव में आहार का अर्थ उन सभी पदार्थों से है, जिनका उपयोग करके प्राणी जीवित रह सकते हैं। आहार में विभिन्न पदार्थों का मिश्रण होता है जो जीवन के लिए अति आवश्यक होते हैं, जबकि पोषण एक गतिशील प्रक्रिया होती है जिसमें आहार के उपयोग से शरीर को पुष्ट बनाया जाता है। साधारण शब्दों में शरीर को पोषित करने के विज्ञान को ही पोषण या पौष्टिकता कहते हैं। इसके अन्तर्गत पाचन और भोजन को शरीर में मिला देने के सम्बन्ध में अनेक प्रक्रियाएँ आती हैं। पोषण या पौष्टिकता इस बात का परिणाम है कि शरीर को किस प्रकार की भोजन सामग्री प्रदान की गई और शरीर ने उस सामग्री का कैसे उपभोग किया। एक अन्य परिभाषा से भी इसके अर्थ को स्पष्ट किया जा सकता है। इसके अनुसार "पोषण शरीर को पौष्टिकता प्रदान करने का विज्ञान है।"

जीवनयापन ( विकास, प्रजनन और सामान्य स्वस्थ जीवन) के लिए भोजन में जिन तत्वों का होना बहुत आवश्यक है, उन्हें पोषक तत्व कहते हैं। वे हैं -

(1) प्रोटीन,
(2) कार्बोज,
(3) वसा,
(4) जल,
(5) विटामिन,
( 6 ) खनिज लवण।

पौष्टिकता प्रदान करने से सम्बन्धित भोजन के इन तत्वों का ज्ञान होना आवश्यक है। हमें इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि हमारे भोजन में कौन-सा तत्व कितनी मात्रा में होना चाहिए, इसकी प्राप्ति के स्रोत कौन से हैं तथा इन तत्वों के हमारे शरीर में क्या कार्य हैं? किस तत्व के कम या अधिक होने से व्यक्ति के शरीर पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है? इसलिए हम यहाँ पर सभी भोजन के तत्वों का अलग-अलग वर्णन करेंगे।

(1) प्रोटीन - प्रोटीन से जीव द्रव्य का निर्माण होता है जो जीव कोशिकाओं का आधार होता है। प्रोटीन की अधिकतर मात्रा हमारे शरीर के तंतुओं में विद्यमान होती है। शरीर का सब विपुल तत्व प्रोटीन है। जीवित शरीर के भार का 1/6 भाग प्रोटीन होता है।

प्राप्ति के साधन - प्रोटीन मुख्य रूप से दूध, मांस, मछली, अण्डे, दाल, सोयाबीन, अखरोट, फलियाँ, मटर, पनीर, दही, तिलहन व अनाज आदि में पाया जाता है।

कार्य -

(i) शरीर में उत्पन्न अनेक रस प्रोटीन द्वारा ही बनते हैं।
(ii) प्रत्येक कोशिका के लिए प्रोटीन आवश्यक है। नए तन्तुओं के निर्माण में एमीनो अम्ल बड़ी निर्णायक भूमिका अदा करता है, सभी एन्जाइम्स प्रोटीन होते हैं और पाचक और उपापचयन प्रक्रियाओं के आवश्यक     प्रेरक हैं।
(iii) प्रोटीन शरीर की वृद्धि व विकास में सहायक हैं। इसकी कमी से शरीर का भार भी कम होने लगता है।
(iv) शरीर में ऊर्जा व ताप पैदा करने में ईंधन का कार्य प्रोटीन द्वारा ही प्रदान किया जाता है जब शरीर में भोजन के अन्य तत्वों की कमी हो जाती है।
(v) प्रोटीन शरीर के रोग निरोधक क्षमता प्रदान करता है।

(2) कार्बोहाइड्रेट्स - कार्बोज की संरचना कार्बन तथा हाइड्रोजन और हाइड्रोजन और ऑक्सीजन उसी अनुपात में जैसे वे पानी में होती है के कारण होती है। सभी प्रकार के शक्कर, निशास्ते और स्टार्च में यह विद्यमान होता है। कार्बन ऑक्सीजन के साथ मिलकर कार्बन डाइ ऑक्साइड का निर्माण करती हैं, जिससे ऊर्जा पैदा होती है।

प्राप्ति के साधन - कार्बोज मुख्यतया हमें चावल, गेहूँ, बाजरा, मकई, जौ, आलू, शर्करा, शलजम, कन्दमूल, खजूर, गुड़, किसमिश, गन्ना, केला, फलों जैसे अंजीर, खुमानी व अन्य मीठे फल तथा शहद आदि में भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

कार्य

(i) दैनिक कार्य हेतु ताप व ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए ईंधन का कार्य करता है और यह ऊर्जा के प्रमुख साधन हैं।
(ii) सक्रिय मांसपेशियों में ग्लूकोज को ऑक्साइड के रूप में बदला जाता है, जिससे शरीर को ऊर्जा व ताप मिलता है।
(iii) यदि 10% कैलोरी प्रोटीन प्रदान करे, 20% वसा प्रदान करें तो शेष 70% कैलोरी कार्बोहाइड्रेट्स ही शरीर को प्रदान करते हैं।
(iv) खनिज तत्व कम होने पर भी शरीर की विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है, इसीलिए इन्हें 'सुरक्षात्मक भोजन' कहा जाता है।
(v) शरीर के रख-रखाव के लिये कार्बोहाइड्रेट्स अपरिहार्य है। 14 खनिजों को शरीर की आवश्यकता होती है जो शरीर के वजन का 1/20 भाग है। यह कार्बोहाइड्रेट्स द्वारा ही सम्भव है।

(3) वसा - वसा को भी भोजन का एक आवश्यक तत्व माना गया है। यह कार्बन की अपेक्षा ऊर्जा का बेहतर स्रोत है। एक ग्रेब बसा में लगभग 9 कैलोरी ऊर्जा होती है। यह शरीर में भंडारित हो सकती है, इसे ईंधन भोजन भी कहते हैं।

प्राप्ति के साधन - वसा के दो प्रकार के उद्गम या स्रोत हैं- वानस्पतिक व आमिष वसा। वानस्पतिक वसा मक्खन, घी तिहलन जैसे नारियल व तिल का तेल, सरसों का तेल, अखरोट आदि में भरपूर मात्रा में पाई जाती है। आमिष बसा मछली, मांस, अण्डा, दूध, चीज व डेरी उत्पादन में अधिक मात्रा में मिलती है। आमिष वसा आहार का महत्त्वपूर्ण तत्व माना गया है, क्योंकि यह विटामिन 'ए' व 'डी' का भंडारित ग्रह माना जाता है।

कार्य -

(i) उच्च कैलोरी प्रदान करने के कारण वसा उन लोगों के लिए अधिक लाभकारी है, जिन्हें कार्य करते समय अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है।
(ii) वसा शरीर को ताप व शक्ति प्रदान करती है।
(iii) यह शरीर की त्वचा को मुलायम बनाकर रखती है तथा सर्दी, गर्मी से शरीर का बचाव करती है। (iv) कार्बोज व वसा को ईंधन भोजन भी कहा गया है, क्योंकि इसके जलने की प्रक्रिया से ऊर्जा पैदा होती है।
(v) यह भोजन को स्वादिष्ट बनाती है।

(4) जल - जल दो भाग हाइड्रोजन व ऑक्सीजन (H2O) का मिश्रण है। शरीर का 75% भाग जल होता है। सामान्यतः प्रतिदिन 4 से 5 लीटर पानी पीना चाहिए। मूत्र, पसीने तथा सांस के साथ फेफड़ों द्वारा छोड़े गए जल - कणों के माध्यम से शरीर में जल की कमी हो जाती है। पानी भोजन का एक महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है। पानी वैसे तो तरल रूप में लिया जाता है, लेकिन ठोस आहार में भी पानी की मात्रा होती है जो शरीर में पानी की कमी को पूरा करती है, जैसे फल व सब्जियाँ पानी का अच्छा स्रोत है। खरबूजा, तरबूज आदि में 90% से 95% पानी होता है। पानी की कुछ मात्रा शरीर को भोजन की पाचन क्रिया से भी प्राप्त होती है।

कार्य -

(i) यह शरीर के तापमान को बनाए रखता है।
(ii) यह भोजन पचाने में सहायता करता है, क्योंकि सभी पाचक रस जलीय होते हैं। पानी में सब कुछ घोलने की शक्ति है।
(iii) शरीर में जहरीले पदार्थ व व्यर्थ पदार्थ निकालने में सहायता करता है।
(iv) यह शरीर में रक्त - प्लाज्मा जैसे द्रव्यों के लिए आधार प्रदान करता है।
(v) यह रक्त संचरण में सहायता देता है व रक्त को गाढ़ा होने से बचाता है।
(vi) यह शरीर को खनिज लवण प्रदान करता है।
(vii) शरीर में होने वाले रासायनिक परिवर्तनों के लिए जल की आवश्यकता होती है।

(5) खाद्योज या विटामिन - विटामिन जीवन प्रदान करने वाले पदार्थ हैं। ये शरीर का विकास व वृद्धि के साथ-साथ उसे स्वस्थ बनाए रखने में सहायता करते हैं। बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में ही विटामिनों की खोज हुई। इसके प्रयोग और परीक्षण चूहों पर किये गये और यह पाया गया कि केवल प्रोटीन, वसा, कार्बोज व खनिज लवण चूहों को जीवित नहीं रख सकते और 1912 में एक नए पदार्थ की खोज की गई, जिसे विटामिन कहा जाने लगा। विटामिनों को इस आधार पर वर्गीकृत किया गया है कि उन्हें शरीर में किस तरह से भंडारित व प्रयोग किया जाता है।

(A) वसा में घुलनशील विटामिन A, D, E और K इस वर्ग में आते हैं।
(B) पानी में घुलनशील विटामिन B और C इस वर्ग में आते हैं।

यदि भोजन को बिना ढके तैयार किया जाता है तो बहुत से विटामिन पकते - पकते ही नष्ट हो जाते हैं। विटामिन B, D, K• खाना पकाते समय मीठे सोडे का प्रयोग किया तो नष्ट हो जाते हैं।

(6) खनिज लवण - हमारे शरीर में शरीर के वजन का लगभग 1 / 20 भाग खनिज लवण होते हैं : और शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक तत्व हैं। शरीर का विकास व उसके स्वास्थ्य के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण हैं। शरीर के लिए आवश्यक खनिज लवण निम्नलिखित हैं- कैल्शियम, मैग्नीशियम, गन्धक, लोहा, आयोडीन, फॉस्फोरस, क्लोरीन, पोटैशियम, ताँबा, सोडियम क्लोराइड आदि प्रमुख खनिज लवण हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ स्पष्ट करते हुए नेतृत्व के प्रकार तथा आवश्यकता की विवेचनाकीजिए।
  2. प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए नेता के सामान्य गुणों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- शिक्षा में नेतृत्व की महत्ता की विवेचना शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षण अधिगम के क्षेत्र में विस्तार से कीजिए।
  4. प्रश्न- नेतृत्व से सम्बन्धित किन्हीं दो सिद्धान्तों को विस्तार से विवेचित कीजिये।
  5. प्रश्न- विद्यालय नेता के रूप में प्राचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
  7. प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व में नैतिकता और शिष्टाचार का उल्लेख कीजिए।
  8. प्रश्न- प्रभावी शैक्षिक नेतृत्व के विकास के सोपान को स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- प्रजातांत्रिक व निरंकुशवादी नेतृत्व में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  10. प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व की अवधारणा लिखिए।
  11. प्रश्न- विद्यालय प्रशासन में ग्रिफिथ्स द्वारा कल्पित विद्यालय तन्त्र की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- विद्यालय के शैक्षिक प्रशासन में मानवीय सम्बन्धों का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- प्रधानाचार्य तथा शिक्षक के सम्बन्ध पर टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- संघर्षरहित वातावरण की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- नेतृत्व में समूह बनाने की अवधारणा लिखिए।
  16. प्रश्न- शिक्षा के प्रबन्धन का अर्थ स्पष्ट करते हुए शिक्षा में प्रबन्ध के कार्य क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- प्रबन्धन के महत्व को स्पष्ट कीजिये।
  18. प्रश्न- प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं? इसकी समुचित परिभाषा देते हुए विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- शिक्षा प्रबन्धन की अवधारणा स्पष्ट करते हुए इसकी विशेषता एवं क्षेत्र का उल्लेख कीजिए।
  20. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के कार्यों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षा प्रबन्ध में अन्तर समझाइए तथा शिक्षा प्रबन्ध की महत्वपूर्ण दशाएँ बताइए।
  23. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की समस्याएँ बताइए।
  24. प्रश्न- प्रबन्धन के मुख्य कार्यों को संक्षेप में बताये ?
  25. प्रश्न- पोस्डकॉर्ब (POSDCORB ) को स्पष्ट कीजिये।
  26. प्रश्न- कुछ प्रमुख विचारकों द्वारा बताये गये प्रबन्धन के कार्यों का उल्लेख कीजिये।
  27. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- शिक्षा प्रबन्ध के क्षेत्र को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की आवश्यकता एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले तत्त्व की विवेचना कीजिए।
  31. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- एक अच्छे प्रबन्धक की विशेषतायें लिखिये।
  33. प्रश्न- विद्यालय में कक्षा-कक्ष प्रबन्धन से क्या आशय है? कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की प्रक्रिया को समझाइये।
  34. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन का अर्थ एवं सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्याओं का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन कौशल के प्रमुख घटक या चर कौन-से हैं ?
  37. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के उद्देश्य लिखिए ?
  38. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले कोई पाँच कारक लिखिए।
  39. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के सिद्धान्तों की व्याख्या संक्षेप में कीजिये।
  40. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्यायें बताइये?
  41. प्रश्न- कक्षा-कक्ष के प्रमुख घटक या चर कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- कक्षाकक्ष प्रबन्धन में शिक्षक की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की क्यों आवश्यकता है ?
  44. प्रश्न- टीम निर्माण की आवश्यकता बताते हुए टीम निर्माण में सम्प्रेषण के महत्व की विवेचना कीजिये?
  45. प्रश्न- सम्प्रेषण का क्या अर्थ है? इसकी आवश्यकता एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? विद्यालय में सम्प्रेषण के विभिन्न स्तरों का उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- सम्प्रेषण की कौन-कौन सी विधियाँ एवं प्रविधियाँ प्रयोग में लायी जाती हैं? सम्प्रेषण की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- सम्प्रेषण के आधार पर टीम निर्माण के निहित तत्वों का वर्णन कीजिये।
  49. प्रश्न- दल-निर्माण में सम्प्रेषण की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
  50. प्रश्न- टीम निर्माण में सम्प्रेषण के सिद्धान्तों का प्रयोग समझाइये ?
  51. प्रश्न- दल निर्माण के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिये।
  52. प्रश्न- सम्प्रेषण में सुधार करने के लिए दल निर्माण की भूमिका का वर्णन कीजिये।
  53. प्रश्न- सम्प्रेषण किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- सम्प्रेषण की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- सम्प्रेषण की आवश्यकता तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  57. प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन में स्वोट (SWOT) विश्लेषण क्या है ? स्वोट विश्लेषण की विशेषताएँ बताइये।
  58. प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन की गुणवत्ता को प्रभावशाली बनाने में स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों के कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- Swot स्वोट विश्लेषण के लाभ समझाइये।
  60. प्रश्न- स्वोट विश्लेषण का मूल्यांकन कैसे किया जा सकता है? समझाइये।
  61. प्रश्न- SWOT स्वोट विश्लेषण के रूप या प्रकार बताइये।
  62. प्रश्न- स्कूल या विद्यालय का अर्थ व परिभाषा बताते हुए उसके कार्यो की विवेचना कीजिये।
  63. प्रश्न- विद्यालय और समाज एक-दूसरे पूरक एवं सहयोगी हैं, विस्तार से वर्णन कीजिए।
  64. प्रश्न- विद्यालय भवन के निर्माण, साज-सज्जा तथा रख-रखाव पर विस्तृत वर्णन कीजिये।
  65. प्रश्न- विद्यालय भवन या निर्माण के आवश्यक घटकों का वर्णन कीजिये।
  66. प्रश्न- विद्यालय भवन से क्या तात्पर्य है? विद्यालय भवन निर्माण के आवश्यक तथ्यों का उल्लेख कीजिए।
  67. प्रश्न- विद्यालय पुस्तकालय से आप क्या समझते हैं? पुस्तकालय के उद्देश्य एवं लाभ का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- विद्यालय के प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
  69. प्रश्न- विद्यालय भवन निर्माण के चरण (Steps) बताइये।
  70. प्रश्न- विद्यालय भवन में लर्निंग कार्नर किसे कहते हैं?
  71. प्रश्न- विद्यालय भवन के प्रमुख कक्ष पर प्रकाश डालिए।
  72. प्रश्न- विद्यालय / स्कूल की मुख्य विशेषतायें समझाइये।
  73. प्रश्न- विद्यालय की आवश्यकता एवं महत्व को बताइये।'
  74. प्रश्न- भौतिक संसाधन प्रबन्धन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- विद्यालय भवन-निर्माण के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
  76. प्रश्न- विद्यालय छात्रावास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- विद्यालय भवन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  78. प्रश्न- 'समय सारणी शिक्षण-अधिगम के कुछ मूल सिद्धान्तों पर आधारित होती है, केवल मात्र मुख्याध्यापक की मर्जी पर नहीं।' इस कथन को स्पष्ट करते हुए समय-सारणी के निर्माण सम्बन्धी सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिये।
  79. प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के प्रकार बताइये तथा कक्षा विद्यालय की समय-सारणी 'का उदाहरण दीजिये।
  80. प्रश्न- समय-सारणी चक्र का निर्माण करने के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- समय सारणी चक्र के निर्माण करने के विशिष्ट सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- समय-सारिणी चक्र के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  83. प्रश्न- विद्यालय वातावरण का अर्थ समझाइए।
  84. प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के सोपान (Steps ) बताइये।
  85. प्रश्न- समय-सारणी की पाँच विशेषताओं का उल्लेख कीजिये ?
  86. प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- विद्यालय में समय चक्र की आवश्यकता व महत्त्व की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- समय तालिका के निर्माण में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- समय तालिका निर्माण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  90. प्रश्न- प्रयोगशाला से आपका क्या तात्पर्य है? प्रयोगशाला स्थापना के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  91. प्रश्न- एक अच्छी प्रयोगशाला से छात्रों को क्या-क्या लाभ प्राप्त हुए हैं ? साथ ही प्रयोगशाला संचालन करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए ? उसका उल्लेख कीजिए।
  92. प्रश्न- विद्यालय में प्रयोगशाला के महत्व एवं लाभ को स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- खेल का मैदान/क्रीडास्थल पर टिप्पणी लिखिए।
  94. प्रश्न- खेल के मैदान का महत्व बताइये।
  95. प्रश्न- विद्यालय में खेल के मैदान की व्यवस्था किस प्रकार करनी चाहिए? समझाइये। उत्तर -
  96. प्रश्न- स्टाफ रूम / शिक्षक-कक्ष को स्पष्ट कीजिये।
  97. प्रश्न- कक्षा-कक्ष ( Class Room) को परिभाषित कीजिये।
  98. प्रश्न- बच्चों के अनुकूल स्कूल (Child Friendly School ) पर प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- संस्थागत शासन से आपका क्या तात्पर्य है तथा संस्थागत प्रशासन में प्रधानाचार्य की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
  100. प्रश्न- कार्मिकों (स्टाफ) की भर्ती एवं चयन प्रक्रिया को समझाइये।
  101. प्रश्न- स्टाफ ( Staff) मूल्यांकन को समझाते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइये ?
  102. प्रश्न- स्टाफ ( शिक्षकों) के व्यावसायिक विकास को विस्तारपूर्वक समझाइये ?
  103. प्रश्न- विद्यालय में बैटक ( मीटिंग) की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की क्या भूमिका है? वर्णन कीजिये।
  104. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  105. प्रश्न- शिक्षा प्रशासन के प्रारूपों का वर्णन कीजिये। शिक्षा व्यवस्था के तीनों स्तरों पर प्रशासन के स्वरूप / संरचना का वर्णन कीजिये।
  106. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक प्रशासन के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन की आवश्यकता व महत्व पर प्रकाश डालिए और उसके उद्देश्यों को भी स्पष्ट कीजिए।
  108. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  109. प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से शैक्षिक प्रशासन को कितने विभिन्न भागों में विभाजित किया जा सकता है? स्वतन्त्र भारत में शिक्षा प्रशासन की विवेचना कीजिए।
  110. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन कला है या विज्ञान? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन का अर्थ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  112. प्रश्न- केन्द्रीकरण एवं विकेन्द्रीकरण का अर्थ एवं विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  113. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के गुण एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  114. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के व्यापक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- बाह्य तथा आन्तरिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  116. प्रश्न- एक अच्छे शैक्षिक प्रशासक के गुणों का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- संस्थागत क्रियाओं के सुशासन हेतु प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  119. प्रश्न- प्रधानाचार्य के पर्यवेक्षण सम्बन्धी कार्य का उल्लेख कीजिए।
  120. प्रश्न- मूल्यांकन में प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  121. प्रश्न- विद्यालय में मीटिंग की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की भूमिका की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  122. प्रश्न- परिवेक्षण तथा पर्यवेक्षण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  123. प्रश्न- विद्यालय स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम क्या है ? इसके उद्देश्य बताइये।
  124. प्रश्न- स्वास्थ्य शिक्षा से आप कया समझते हैं? स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक अध्यापक की भूमिका का वर्णन करें।
  125. प्रश्न- विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं? विवेचन कीजिए।
  126. प्रश्न- विद्यालयीय चिकित्सा सेवा से क्या तात्पर्य है? इसके विभिन्न पक्षों और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  127. प्रश्न- योग का अर्थ बताते हुए विभिन्न विद्वानों की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। अथवा योग शिक्षा से आप क्या समझते हैं? उल्लेख कीजिए।
  128. प्रश्न- विद्यालय मध्याह्न भोजन से आप क्या समझते है ? भोजन के विभिन्न कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
  129. प्रश्न- मध्याह्न भोजन की आवश्यकता बताइए तथा निष्पादन पर इसके प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझते हैं? पौष्टिक आहार के विभिन्न तत्वों के स्रोतों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
  131. प्रश्न- एक चिकित्सा निरीक्षण क्या है?
  132. प्रश्न- टीकाकरण (Immunization) पर अपने विचार व्यक्त करिये ?
  133. प्रश्न- उचित मुद्रा (Posture ) के महत्व पर विचार प्रकट कीजिये।
  134. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के केन्द्रीयकरण के नियम के गुणों को समझाइये।
  135. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के नियम विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत हैं संक्षेप में बताइये।
  136. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के स्वरूप को संक्षेप में बताइये।
  137. प्रश्न- छात्रों के नियमित स्वास्थ्य निरीक्षण से होने वाले लाभों का वर्णन कीजिये।
  138. प्रश्न- कलाई की योग मुद्राओं के प्रकार बताइये।
  139. प्रश्न- चिकित्सा से सम्बन्धित शिक्षक के क्या कार्य या कर्त्तव्य होने चाहिए ?
  140. प्रश्न- मेडिकल या स्वास्थ्य रिकॉर्ड के अभिलेख का वर्णन कीजिये।
  141. प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
  142. प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम में अध्यापक की भूमिका का विवेचन कीजिए।
  143. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (1. शैक्षिक नेतृत्व का अर्थ एवं प्रकार)
  144. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (2. दल निर्माण)
  145. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (3. शैक्षिक प्रशासन और स्कूल )
  146. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (4. विद्यालय में एक प्रभावी कक्षा कक्ष प्रबन्धन के लिए प्रबन्धन कार्यों का उपयोग करना )
  147. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (5. दल निर्माण में सम्प्रेषण का महत्व )
  148. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (6. विद्यालय प्रबन्धन में गुणवत्ता सुधार के लिए तथा स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों एवं प्रधानाचार्य का कौशल)
  149. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (7. स्कूल (विद्यालय) - उसके कार्य और समाज से सम्बन्ध)
  150. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (8. स्कूल वातावरण : अर्थ एवं प्रकार, समय-सारणी, समय-सारणी तैयार के सिद्धान्त और तकनीक)
  151. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (9. प्रयोगशाला, खेल मैदान, छात्रावास, स्टाफ रूम, कक्षा-कक्ष)
  152. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (10. संस्थागत शासन, चयन प्रक्रिया, स्टाफ का मूल्यांकन)
  153. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (11. भारत में शैक्षिक प्रशासन के सिद्धान्त और उसकी संरचना )
  154. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (12. प्रधानाचार्य विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में )
  155. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (13. स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के पर्यवेक्षक )

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